Wednesday 20 December 2017

रूरल इंडिया पर फोकस बढ़ने की आस में नए शिखर पर पहुंचा बाजार




शेयर बाजार मंगलवार को नए शिखर पर पहुंच गया। ऑटो स्टॉक्स ने बाजार की तेजी में बड़ा रोल निभाया। निवेशकों को लग रहा है कि सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने पर ध्यान देगी, जिससे ऑटो कंपनियों को फायदा होगा। गुजरात चुनाव के नतीजों से पता चला कि बीजेपी का किसानों में जनाधार काफी कम हुआ है। इस वजह से ऐसी अटकलें लग रही हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये के तीन महीने के पीक पर पहुंचने से भी शेयरों को लेकर सेंटीमेंट मजबूत रहा।
सेंसेक्स 0.7% चढ़कर 33,836.74 पर बंद हुआ। इंट्राडे में यह 33,862.07 तक चला गया था, जिससे इंडेक्स 7 नवंबर के 33,865.96 के लाइफ टाइम लेवल के काफी करीब पहुंच गया था। निफ्टी भी 0.7 पर्सेंट चढ़कर 10,463.20 पर रहा। इंट्राडे में यह 10,472.20 तक गया था। निफ्टी ने 10,490.45 का लाइफ टाइम हाई लेवल 6 नवंबर को छुआ था। बीएसई मिडकैप इंडेक्स भी नए शिखर पर बंद हुआ। यह 1.5 पर्सेंट की तेजी के साथ 17,356.19 पर पहुंच गया। मार्केट में पहले जैसी घबराहट नहीं दिख रही है। वोलैटिलिटी इंडेक्स यानी विक्स मंगलवार को 7 पर्सेंट की गिरावट के साथ 12.19 पर आ गया। इसका मतलब यह है कि ट्रेडर्स को शॉर्ट टर्म में बाजार में ज्यादा जोखिम नहीं दिख रहा है।

बीजेपी ने सोमवार को 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में 99 सीटों के साथ जीत हासिल की, लेकिन उसे 2012 से कम सीटें मिलीं। पिछले हफ्ते एग्जिट पोल में पार्टी की 99-135 सीटों के साथ जीत की भविष्यवाणी की गई थी। बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड के को-चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर महेश पाटील ने बताया, 'बजट में ग्रामीण इलाकों पर फोकस बढ़ सकता है। किसानों की हालत इधर काफी खराब रही है। सरकार का ध्यान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने पर होगा, लेकिन वह लोकलुभावन नीतियों का ऐलान नहीं करेगी।' इकनॉमिक टाइम्स ने मंगलवार के अंक में खबर दी थी कि 2019 लोकसभा चुनाव की वजह से सरकार का ध्यान रूरल इकनॉमी पर बढ़ सकता है।

सेंसेक्स में मारुति सुजुकी, हीरो मोटोकॉर्प, टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो और एमएंडएम के शेयरों में सबसे अधिक तेजी आई। ये 2-5 पर्सेंट ऊपर बंद हुए। रुपये में मजबूती का आईटी स्टॉक्स पर बुरा असर पड़ा और इंफोसिस व विप्रो में 1 पर्सेंट की गिरावट आई। डॉलर के मुकाबले रुपया 0.3 पर्सेंट मजबूत होकर 64.04 पर रहा। भारतीय करेंसी का यह लेवल पिछली बार 13 सितंबर को दिखा था। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 407.83 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों जैसे डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स ने 357.4 करोड़ रुपये बाजार में लगाए। मंगलवार के इन अस्थायी आंकड़ों को शामिल किया जाए तो एफआईआई दिसंबर में 3,800 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। वहीं, इस साल अब तक उन्होंने मार्केट में 52,890 करोड़ रुपये लगाए हैं। डीआईआई ने दिसंबर में 6,026 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य बीजेपी में जीत के बाद बाजार में स्थिरता लौट आई है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के सीआईओ पीयूष गर्ग ने बताया, 'ग्लोबल मार्केट्स में तेजी से भी भारतीय शेयर बाजार को सपोर्ट मिल रहा है। गुजरात में बीजेपी की जीत की उम्मीद की जा रही थी, जो सच साबित हुई। एग्रीकल्चर सेक्टर और रोजगार बढ़ाने पर सरकार का फोकस आने वाले वक्त में हो सकता है।' फंड मैनेजरों का कहना है कि बाजार का वैल्यूएशन बहुत अधिक है। इसलिए मौजूदा लेवल से बहुत तेजी की उम्मीद नहीं है। इमर्जिंग मार्केट्स में भारतीय बाजार काफी महंगा है। निफ्टी में वित्त वर्ष 2019 के अनुमानित ईपीएस के 16.7 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है, जबकि एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में 12.1 के पीई पर ट्रेडिंग हो रही है। 2017 में अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में 27 पर्सेंट की तेजी आई है, जबकि एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स 30 पर्सेंट चढ़ा है। अब बाजार की नजर बजट पर होगी। कई निवेशकों का मानना है कि सरकार फिस्कल डेफिसिट पर वादा पूरा नहीं कर पाएगी। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा था कि रूरल इंडिया और एग्रीकल्चर सेक्टर पर ध्यान देने का मतलब यह नहीं है कि लोकलुभावन वादे किए जाएंगे। उन्होंने कहा था, 'रूरल इंडिया पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है।' नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि अगर फिस्कल डेफिसिट टारगेट में डील दी जाती है तो उसके अच्छे नतीजे दिख सकते हैं।


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1 comment:

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